हृदय रोग (दिल की बीमारी) के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार
दिल की
बीमारी एक गंभीर समस्या है,
जिसे कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। वहीं देखा
गया है कि भारत में हृदय रोगों के कारण होने वाली मौतों की संख्या पिछले कुछ
वर्षों में बहुत बढ़ गई है। इस रोग से बचने का सबसे ज़रूरी भाग है, इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना, जो आपको इस ब्लॉग से मिल जाएगी।
कई प्रकार के हृदय रोग एक व्यक्ति को परेशान करते
हैं और प्रत्येक के अपने लक्षण और उपचार होते हैं। हृदय रोग का उपचार तो बहुत
ज्यादा अनिवार्य है,
लेकिन इलाज के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव और दवाएं
दिल के रोग से निपटने में बहुत कारगर साबित हो सकते हैं।
एक बात का विशेष रूप से सभी को ध्यान रखना होगा कि इस ब्लॉग में मौजूद जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यदि आप किसी भी हृदय रोग से पीड़ित हैं और स्थिति के इलाज और निदान की तलाश में है, AFZAL HOSPITAL के डॉक्टर संपर्क कर सकते है
हृदय
रोग किसे कहते हैं?
"हृदय रोग" को मेडिकल भाषा में
"कार्डियोवास्कुलर रोग" कहा जाता है। आमतौर पर हृदय रोग उन स्थितियों को
संदर्भित करता है,
जिसमें रक्त वाहिकाएं संकुचित या अवरुद्ध हो जाती है, जिसके कारण दिल का दौरा, एनजाइना या स्ट्रोक आने का जोखिम बनता है। इसके अतिरिक्त दिल
की मांसपेशियों,
वाल्व या हृदय की धड़कन प्रभावित भी होती है जो हृदय
रोग का मुख्य कारण बन सकती है।
हृदय
रोग के प्रकार
कई प्रकार के हृदय रोग एक व्यक्ति को परेशान कर सकते
हैं जैसे -
·
दिल की विफलता या हार्ट फेलियर
·
दिल में छेद (जन्मजात हृदय रोग)
·
एनजाइना
·
एथेरोस्क्लेरोसिस
·
अनियमित दिल की धड़कन या एरिथमिया
·
हृदय वाल्व रोग (वाल्वुलर हृदय रोग या हार्ट वाल्व डिजीज)
·
रूमेटिक हार्ट डिजीज
·
पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (बाहरी धमनी की बीमारी)
·
कार्डियोमायोपैथी
·
सेरेब्रोवास्कुलर डिजीज
हृदय
रोग के कारण
कोरोनरी आर्टरी डिजीज एक सामान्य हृदय रोग है, जिसका मुख्य कारण है दिल तक रक्त पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं में संकुचन। हृदय की पास की नसों में कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है, जिसके कारण हृदय से संबंधित बीमारियां होती हैं। कोलेस्ट्रॉल जमा होने की स्थिति को एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है। इसके कारण हृदय और शरीर के अन्य भाग तक रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है, जिसके कारण दिल का दौरा, सीने में दर्द (एनजाइना) या स्ट्रोक की समस्या उत्पन्न हो जाती है। दिल की बीमारी के कारण उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। अलग-अलग प्रकार के हृदय रोग के कारण अलग-अलग होते हैं
कार्डियोवास्कुलर रोग के कारण
·
अस्वस्थ आहार का सेवन
·
अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल
·
व्यायाम न करना या गतिहीन जीवनशैली
·
अधिक वजन होना
·
धूम्रपान करना
अनियमित
दिल की धड़कन
·
जन्मजात हृदय का दोष (सीएचडी)
·
हाई ब्लड प्रेशर
·
शुगर
·
शराब, धूम्रपान या कैफीन का अधिक सेवन
·
दवाओं का दुरुपयोग
·
अतिरिक्त तनाव
·
हृदय वाल्व रोग
जन्मजात
हृदय दोष
इस रोग का कोई कारण नहीं है। सीएचडी तब विकसित होता
है, जब संतान मां के गर्भ में होता है। जब बच्चा मां के
गर्भ में होता है,
तो उसके दिल का विकास होता है। यह रोग तब विकसित
होता है, जब गर्भधारण के दौरान महिला के शरीर में रक्त के
प्रवाह में बदलाव देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त कुछ स्वास्थ्य समस्याएं दवाएं
और अनुवांशिक कारण भी इस रोग के उत्पन्न होने का कारण बन सकते हैं।
कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy)
·
डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी
· हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (अनुवांशिक रोग)
· रेस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी
दिल
के संक्रमण
जब जीवाणु, वायरस या
रासायनिक पदार्थ एक व्यक्ति के हृदय तक पहुंचते हैं, तब
दिल का संक्रमण एक व्यक्ति को परेशान करता है। एंडोकार्डाइटिस एक प्रकार का
संक्रमण है,
जो एक व्यक्ति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
हृदय
वाल्व रोग
यह बात चिकित्सीय रूप से सच है कि आपके दिल को
नुकसान कई कारणों से हो सकता है। कुछ मामलों में देखा गया है कि यह स्थिति व्यक्ति
को जन्म से भी परेशान कर सकती है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कारण भी हैं जैसे -
·
रूमेटिक फीवर
·
संक्रमण (संक्रामक एंडोकार्डाइटिस)
·
कनेक्टिव ऊतक विकार
हृदय
रोग के लक्षण क्या है?
पुरुषों और महिलाओं में कोरोनरी धमनी रोग के लक्षण
अलग-अलग होते हैं। मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को हृदय
रोग अधिक प्रभावित करता है। दिल की बीमारी के संबंध में रोगी को निम्नलिखित
लक्षणों का अनुभव हो सकता है -
·
सीने में दर्द, जकड़न, दबाव और तकलीफ
·
गर्दन, जबड़े, गले, ऊपरी पेट क्षेत्र या पीठ में दर्द
·
सांस लेने में कठिनाई
· शरीर के जिस भाग की नसों में संकुचन होती है उस भाग में दर्द, सुन्नता, कमजोरी या ठंड महसूस होना।
हृदय
रोग उपचार
हृदय रोग का इलाज हृदय रोग के प्रकार और कारण पर
निर्भर करता है। इलाज से साथ-साथ कुछ उपाय भी ज़रूरी होते हैं, जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से चर्चा करेंगे।
इलाज के लिए दो मुख्य तरीकों का प्रयोग किया जाता है -
·
दवाएं: जीवनशैली में बदलाव के
साथ-साथ कुछ दवाएं हैं, जो हृदय रोग के लक्षणों को नियंत्रित करने और जटिलताओं को रोकने
में मदद करता है। किस दवा को खाना है इसका चुनाव डॉक्टर स्थिति के निदान के बाद ही
करते हैं। डॉक्टर स्थिति के निदान के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी या ईकेजी), होल्टर मॉनिटरिंग, इकोकार्डियोग्राम, व्यायाम या तनाव परीक्षण, कार्डियक कैथीटेराइजेशन, हृदय का सीटी स्कैन और
हृदय का एमआरआई स्कैन जैसे परीक्षण का सुझाव दे सकते हैं। इनमें से एक या फिर 2 टेस्ट से स्थिति का निदान
संभव है।
·
सर्जरी या अन्य
प्रक्रिया: हृदय रोग से पीड़ित कुछ लोगों को प्रक्रिया या सर्जरी की आवश्यकता
पड़ती है। प्रक्रिया या सर्जरी का चुनाव हृदय रोग के प्रकार और हृदय को होने वाली
क्षति की मात्रा पर भी निर्भर करता है।
हृदय
रोग से बचने के उपाय
हृदय रोग से बचने के लिए एक व्यक्ति को स्वस्थ
जीवनशैली का पालन करना चाहिए। इससे दिल की बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।
निम्नलिखित उपायों के पालन से बहुत मदद मिलेगी -
·
धूम्रपान से बनाएं दूरी
·
ऐसा आहार लें जिसमें नमक और सैचुरेटेड फैट कम हो।
·
सप्ताह में प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट का व्यायाम ज़रूर
करें।
·
स्वस्थ वजन बनाए रखें।
·
तनाव कम करें या उसे प्रबंधित करें।
·
उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज को
नियंत्रित करें।
·
अच्छी नींद लें

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