फिशर क्या है ||

 फिशर  क्या है ||

एनस के अंदर की परत में दरार आने को गुदा का फिशर कहा जाता है. यह दरार उस जगह होती है जहां से आप मल त्याग करते हैं.

फिशर एक तरह से बवासीर रोग ! की तरह है. बवासीर में मस्से अंदर या बाहर बनते हैं और उनमें खून आ सकता है. लेकिन फिशर में गुदा नलिका कट जाती है या उसमें दरार आ जाती है. फिशर होने के कई कारण हो सकते हैं. जैसे: बड़ा स्टूल पास होना लंबे समय तक डायरिया होना बहुत ज़्यादा कब्ज होना प्रेगनेंसी होना कॉन्स्टिपेशन रहना इम्फ़्लेमेटरी बाउल डिज़ीज़ जैसे क्रोहन रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस फिशर होने पर मल त्याग करना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि दर्द बहुत बढ़ जाता है. फिशर के इलाज में आमतौर पर जलन को रोकने के लिए कुछ उपाय मौजूद हैं. इसमें शामिल हैं: नरम और नियमित मल त्याग सुनिश्चित करने के लिए आहार में बदलाव फिशर से ग्रसित रोगी को मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि फिशर की स्थिति में मांस का सेवन किया जाए तो कब्ज़ होने की संभावना बढ़ सकती है, जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है। -अधिक मात्रा में जल का सेवन करें। इससे आपका मल नरम होगा और एनल फिशर होने की संभावना कम होगी।









फिशर में क्या खाएं? – What to eat
पपीते में पपैन नामक एक एंजाइम होता है जो पाचन में सुधार करता है, जिससे कब्ज और एनल फिशर से पीड़ित लोगों को राहत मिलती है। पपीते का सेवन असुविधा को कम करने और मल त्याग को सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है। इसे मिड-मॉर्निंग स्नैक या सलाद के रूप में लिया जा सकता है। फाइबर युक्त आहार फिशर ही नहीं सामान्य दिनों में भी में स्वस्थ मल त्याग के लिए आपको अपने आहार में कम से कम 25 से 30 ग्राम फाइबर का सेवन करना चाहिए। ... साइट्रस फ्रूट ... मटर और फलियाँ ... भरपूर पानी ... अलसी का बीज ... सेब ... पपीता ... तरबूज तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाना फाइबर की खुराक सामयिक मलहम या क्रीम सिट्ज़ स्नान (प्रभावित क्षेत्र को गर्म पानी में भिगोना) एनल फिशर सर्जरी के बाद मरीज़ को पूरी तरह से ठीक होने में करीब 6 सप्ताह से लेकर 3 महीने तक का समय लग सकता है.

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